बहन प्रवेश् आर्या जी के जीवन परिचय एवं
क्रियाकलाप की संक्षिप्त जानकरी
वैदिक धर्म अनुयायी, परम ऋषिभक्त, सरलता, सौम्यता, कर्मठता, कत्र्तव्य निष्ठ, भारत में महिलाओं के असितत्व को
बचाने की लड़ार्इ लड़ने वाली,आर्य समाज को अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली आदरणीया बहन प्रवेश आर्या का
जन्म हरियाणा प्रान्त के जिला रोहतक के ग्राम रिठाल में मा. नफे सिंह एवं पूज्या माता सावित्राी देवी के घर में 12 फरवरी,
1978 को हुआ। आपकी प्रारमिभक शिक्षा ग्राम भैंसवाल में हुर्इ उसके पश्चात 11वीं तक की शिक्षा ग्राम रिठाल के राजकीय
वरिष्ठ माध्यमिक विधालय में हुर्इ। 12वीं से लेकर बी. ए. तक की शिक्षा आपने रोहतक के ऐतिहासिक महारानी किशोरी
जाट कन्या महाविधालय से प्राप्त की। आपके पिता जी एवं माता जी शिक्षा के क्षेत्रा से जुड़े होने के कारण आपको जहां
पढ़ार्इ का पूरा मौका मिला वहीं खेलों में भागीदारी के अवसर भी प्राप्त हुए। आपने अपने माता-पिता की आशाओं के
अनुरूप जहां उच्च स्तर पर शिक्षा प्राप्त की वहीं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न खेलों में प्रतिनिèाित्व भी किया।
शिक्षा :- महारानी किशोरी जाट कन्या महाविधालय, रोहतक (हरियाणा) से बी. ए. करने के पश्चात आपने नागपुर
विश्वविधालय नागपुर (महाराष्ट्र) से बी.पी.एड. किया। फिर भोपाल (म. प्र.) से आपने एम.पी.एड. किया, आपने एमफिल.
तमिलनाडु से किया। डी.एन.वार्इ.एस. की डिग्री आपने दिल्ली से प्राप्त की।
खेल :- आपने राष्ट्रीय स्तर की कर्इ प्रतियोगिताओं में विभिन्न खेलों के माध्यम से भाग लिया। आपने जहां हरियाण
की टीमों में प्रतिनिधित्व किया वहीं अन्र्तविश्वविधालय खेल कूद प्रतियोगिताओं में भी बहुत बार भाग लिया। आपने जिन
खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया उनमें हैंडबाल, बास्केट बाल, सोफ्ट बाल, बेसबाल, थ्रोबाल, नैटबाल और
कोर्फ बाल। आपको एक बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी खेलने का अवसर मिला जिसके लिए आप नेपाल खेलने के लिए
गए।
अध्यापन कार्य :- आपने जिस महारानी किशोरी जाट कन्या महाविधालय से शिक्षा प्राप्त की। उसी महाविधालय
में शरीरिक शिक्षा के प्रोफेसर के पद पर भी आपने तीन वर्ष कार्य किया। आपके कार्यकाल में ही कालेज की छात्रााओं
राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लिया।
दो बहनोेंं का मिलन :- आपकी मुलाकात 1996 में आपके ही विधालय में पढ़ने वाली एक बहन प्रवेश से हुर्इ। प्रवेश
आर्या ने आपकी पारिवारिक पृष्ठ भूमि आर्य समाज की होने कारण आप सत्यार्थ प्रकाश पढ़ती रहती थी। आपकी प्रेरणा
से आपकी आध्यातिमकता एवं बहन प्रवेश की सामाजिकता आप भी सत्यार्थ प्रकाश पढ़ा और सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के
पश्चात आपने तथा प्रवेश ने आर्य समाज और ऋषि दयानन्द जी की विचारधारा को जाना। इसके पश्चात समय-समय
पर वैदिक साहित्य का निरन्तर अध्ययन चलता रहा। अभी आप दोनों का मन समाज के लिए कुछ करने का बन ही रहा
था कि आपकी भेंट स्वामी इन्द्रवेश जी से हो गर्इ। उन्हीं के प्रेरणा से आपको समाज के लिए जीवन समर्पित करने के
संकल्प को बल मिला। आप पिछले लगभग 15 वषो± से एक साथ रह रहे हैं। आज समाज के लिए एक आदर्श स्थापित
कर चुकी हैं।
स्वामी इन्द्रव्रवेश्ेश जी का सानिनध्य :- आर्य समाज में युवा क्रांति के लिए प्रेरक माने जाने वाले युवा âदय सम्राट स्वामी
इन्द्रवेश जी से आपकी प्रथम भेंट 3 अक्टूबर 1999 में हुर्इ। उसके पश्चात आप समय-समय पर स्वामी जी से मिलते तथा
सामाजिक गतिविधियों पर चर्चा करते। आपने स्वामी जी से जहां दर्शनों एवं उपनिषदों का अध्ययन किया वहीं नैषिठक
ब्रह्राचर्य की दीक्षा लेकर अपना पूरा जीवन आर्य समाज में लगाने का निर्णय लिया। स्वामी इन्द्रवेश जी के स्वर्गवास के
पश्चात आपने अपनी नौकरी छोड़कर पूरा समय ऋषि दयानन्द के सिद्धान्त एवं मान्यताओं की स्थापना और महिलाओं
के असितत्व को बचाने में लगाना प्रारम्भ कर दिया।
बेटेटी बचाओ अभियान :- वर्तमान समय में पूरे देश में बेटियों की संख्या बेटों से कम है। इन विकट परिसिथतियों
में माँ के असितत्व को बचाने के लिए स्वामी इन्द्रवेश जी तथा स्वामी अगिनवेश जी के नेतृत्व में ''कन्या भ्रूण हत्या के
विरूद्ध जन चेतना यात्राा , 2005 स्वामी दयानन्द के जन्म स्थान टंकारा (गुजरात) से जलियांवाला बाग (अमृतसर) तक
15 दिन तक निकाली गर्इ। इस यात्राा की सफलता में आपका तथा आपकी अनन्य सहयोगी एवं साथी बहन पूनम आर्या
का विशेष सहयोग रहा। इस यात्राा के पश्चात आप दोनों की पहचान महिलाओं की लड़ार्इ लड़ने वाली सामाजिक
कार्यकर्ताओं के रूप में बनी। आपके संयोजन में 2006 तथा 2008 में पूरे हरियाणा में जन चेतना यात्रााओं का आयोजन
किया गया। आपके संयोजन में ही एक महीने तक चलने वाले ''बेटी बचाओ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ का आयोजन
निरन्तर होता आ रहा है। इन यज्ञों में जहां हरियाणा भर के बड़े-बड़े अस्पतालों के मालिक, डाक्टर, नर्स, अल्ट्रासाउण्ड
मशीनों के मालिक यज्ञ में आहूति डालकर कन्या भ्रूण हत्या न करने की प्रतिज्ञा लेते हैं वहीं विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक,
धार्मिक संगठनों के अतिरिक्त आम जन-मानस भी आहूति डालकर आपके द्वारा संचालित बेटी बचाओ अभियान से जुड़ने
का संकल्प लेते हैं। वर्तमान में आप अपनी सैकड़ों कार्यकर्ताओं को साथ लेकर बेटी बचाओ अभियान का सुन्दर संचालन
कर रही हंै।
युवा निर्माणर््ण अभियान :- आर्य समाज के सशक्त युवा संगठन सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद द्वारा संचालित युवा
निर्माण अभियान में भी आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है। आपके सुन्दर संयोजन में ही हरियाणा के इतिहास में पहली बार
तेरह सौ युवतियों का सात दिवसीय चरित्रा निर्माण एवं व्यायाम प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। आप हर वर्ष 500
से 1000 युवतियों का एक शिविर 6 जून से 12 जून तक आयोजित कर रही हैं जिसकी चहुं ओर प्रशसित फैल रही है।
आपका अधिकतर समय जहां गांव में महिलाओं को जागरूक करने में लगता है वहीं विभिन्न विधालयों में युवतियों को
जागरूक करने में भी आप पीछे नहीं हैं।
सामाजिक संगंगठन एवं आपकी जिम्मेदेदारी :- वर्तमान में आप जिन सामाजिक संगठनों के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य
कर रही हैं उनमें आर्य समाज के युवा संगठन सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के महामन्त्राी, महिला समता मंच में महामन्त्राी,
अखिल भारतीय नशाबन्दी परिषद हरियणा में मन्त्राी, बेटी बचाओ अभियान में राष्ट्रीय सह-संयोजक तथा रोहतक में जिला
पी.एन.डी.टी. एडवार्इजरी कमेटी की सदस्य आदि महत्वपूर्ण हैं। इनके अतिरिक्त आप विभिन्न संगठनों में विशेष आमंत्रित
एवं सम्मानित सदस्य भी हैं।
सम्मान :- वैसे तो आप लौकेषणा से दूर रहते हैं फिर भी विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संगठन आपको समय-समय
पर सम्मानित करते रहते हैं। जिला प्रशासन रोहतक द्वारा भी आपको महिलाओं की लड़ार्इ लड़ने के लिए सम्मानित किया
जा चुका है। हरियाणा सरकार द्वारा आपको महिलाओं की लड़ार्इ लड़ने के लिए दिया गया बेटी बचाओ रथ किसी सम्मान
से कम नहीं है।
विशेष :- आपका व्यकितत्व एक आदर्श व्यकितत्व है। आपमें संगठन करने की अदभुत शकित है। आपका सरल जीवन
सभी को प्रभावित करता है। आपके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है कि आप छोटे से छोटे कार्यकर्ता की सहायता
के लिए तत्पर रहती हैं तथा आगे बढ़कर उसकी सहायता करती हैं। आपके चेहरे पर कभी गुस्सा दिखार्इनहीं देता जो
की अपने आप में एक आदर्श सामाजिक कार्यकर्ता के गुण को दर्शाता है। स्वामी इन्द्रवेश जी द्वारा लिखित महत्वपूर्ण
पुस्तक पुनर्जन्म मीमांसा के प्रकाशित होने में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वामी जी के अनितम दिनों में जब वो
अस्वस्थ चल रहे थे उस समय स्वामी जी बोलते तथा आप व आपकी अनन्य सहयोगी एवं साथी बहन पूनम आर्या लिखते
थे। आपके कारण ही पुनर्जन्म मीमांसा को जन-जन तक पहुंचाया जा सका।
कुछ महत्वपूण्ूर्ण आयोजेजन :-
- 13 मार्च, 2008 से 7 अप्रैल, 2008 तक बेटी बचाओ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ, रोहतक, हरियाणा। संयोजक - कु. प्रवेश आर्या, प्रबन्धक - कु. पूनम आर्या।
- 13 मार्च, से 23 मार्च, 2009 तक बेटी बचाओ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ, रोहतक, हरियाणा। संयोजक - कु. प्रवेशआर्या, प्रबन्धक - कु. पूनम आर्या।
- 12 मार्च से 13 अप्रैल, 2010 बेटी बचाओ महायज्ञ एवं वेद प्रचार शिविर कुम्भ मेला हरिद्वार। सह संयोजक - कु प्रवेश आर्या एवं व्यवस्थापक कु. पूनम आर्या।
- 5000 हजार युवाओं का विशाल सम्मेलन, 21 नवम्बर, 2010 स्थान- दून स्कूल सोनीपत, हरियाणा सह संयोजक - कु. प्रवेश आर्या एवं व्यवस्थापक कु. पूनम आर्या।
- 21 से 28 फरवरी, 2011 सर्वधर्म जन-चेजना यात्राा, हरियाणा के दस जिलो में सह संयोजक - कु. प्रवेश आर्या, नेतृत्व - स्वामी आर्यवेश जी एवं कु. पूनम आर्या।
- 13 से 27 मार्च, 2011 बेटी बचाओ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ, चौ. बलदेव भवन, रोहतक, हरियाणा, संयोजक - कु. प्रवेश आर्या, प्रबन्धक - कु. पूनम आर्या।
- 6 से 12 जून, 2011 तक, कन्या चरित्रा निर्माण शिविर, महारानी किशोरी जाट कन्या महाविधालय, रोहतक, हरियाणा, संयोजक - कु. प्रवेश आर्या, अध्यक्षता - कु. पूमन आर्या
बहन पूनूनम आर्या जी के जीवन परिचय एवं
क्रियाकलाप की संंिक्षिप्त जानकरी
वैदिक धर्म अनुयायी, परम ऋषिभक्त, कर्मठता युवा संगठनकर्ता, आध्यातिमकता से ओत-प्रोत, भारत में महिला
अèािकारों की एक आवाज मानी जाने वाली बहन पूनम आर्या का जन्म हरियाणा प्रान्त के जिला सोनीपत के ग्राम गिवाना
में श्री धर्मवीर सिंह एवं पूज्या माता राजबाला देवी के घर में 23 मार्च, 1978 को हुआ। आप दो भार्इ बहनों में सबसे
बड़ी हैं। आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि पूर्णतया आर्य समाज की रही। आपके दादा जी चौ. सुल्तान सिंह जी ने अपना सारा
जीवन महर्षि दयानन्द के सिद्धान्त एवं मान्यताओं के लिए समर्पित कर दिया।
शिक्षा :- आपकी प्रारमिभक शिक्षा राजकीय उच्च विधालय गिवाना में हुर्इ। 11वीं से बी.ए. (स्नातक) तक की शिक्षा
आपने महारानी किशोरी जाट कन्या महाविधालय रोहतक से प्राप्त की।
आपने एम. ए. (स्नातकोत्तर) संस्कृत एवं एम. ए. (स्नातकोत्तर) इतिहास महर्षि दयानन्द विश्वविधालय रोहतक से
प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। डी. एन. वार्इ. एस. की डिग्री आपने दिल्ली से प्राप्त की।
रूचि :- आपकी रूचि विशेष तौर पर कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध चलाये जा रहे ''बेटी बचाओ अभियान में रहती
है। उसके अतिरिक्त युवा निर्माण अभियान में भी आपका विशेष मार्ग दर्शन रहता है। स्वाध्याय एवं साधना से आप
निरन्तर जुड़े रहते हैं। आपकी व्यस्तता के बावजूद भी आप साधना एवं स्वाध्याय के लिए समय अवश्य निकालते हैं।
दर्शन, उपनिषद आपकी रूचि के विषय हैं।
दो बहनोेंं का मिलन :- आपकी मुलाकात 1996 में आपके ही विधालय में पढ़ने वाली एक बहन पूनम आर्या से हुर्इ।
पूनम आर्या की पारिवारिक पृष्ठ भूमि आर्य समाज की होने कारण वो सत्यार्थ प्रकाश पढ़ती रहती थी। उनकी प्रेरणा से
आपने भी सत्यार्थ प्रकाश पढ़ा और सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के पश्चात आपने आर्य समाज और ऋषि दयानन्द जी की विचारध्
ाारा को जाना। इसके पश्चात समय-समय पर वैदिक साहित्य का निरन्तर अध्ययन चलता रहा। अभी आप दोनों का मन
समाज के लिए कुछ करने का बन ही रहा था कि आपकी भेंट स्वामी इन्द्रवेश जी से हो गर्इ। उन्हीं की प्रेरणा से आपको
समाज के लिए जीवन समर्पित करने के संकल्प को बल मिला। आप पिछले लगभग 15 वषो± से एक साथ रह रहे हैं।
आप ज्यादा सामाजिक है जबकि पूनम आर्या ज्यादा स्वाध्यायशील प्रवृत्ति की हैं एवं आध्यातिमक हैं। आप दोनों बहनें
आज समाज के लिए एक आदर्श स्थापित कर चुकी हैं।
स्वामी इन्द्रव्रवेश्ेश जी का सानिनध्य :- आर्य समाज में युवा क्रांति के लिए प्रेरक माने जाने वाले युवा âदय सम्राट स्वामी
इन्द्रवेश जी से आपकी प्रथम भेंट 3 अक्टूबर 1999 में हुर्इ। उसके पश्चात आप समय-समय पर स्वामी जी से मिलते तथा
सामाजिक गतिविधियों पर चर्चा करते। आपने स्वामी जी से जहां दर्शनों एवं उपनिषदों का अध्ययन किया वहीं नैषिठक
ब्रह्राचर्य की दीक्षा लेकर अपना पूरा जीवन आर्य समाज में लगाने का निर्णय लिया। वर्तमान में आप पूरा समय ऋषि
दयानन्द के सिद्धान्त एवं मान्यताओं की स्थापना और महिलाओं के असितत्व को बचाने में लगा रहे हैं।
बेटेटी बचाओ अभियान :- वर्तमान समय में पूरे देश में बेटियों की संख्या बेटों से कम है। इन विकट परिसिथतियों
में माँ के असितत्व को बचाने के लिए स्वामी इन्द्रवेश जी तथा स्वामी अगिनवेश जी के नेतृत्व में ''कन्या भ्रूण हत्या के
विरूद्ध जन चेतना यात्राा , 2005 स्वामी दयानन्द के जन्म स्थान टंकारा (गुजरात) से जलियांवाला बाग (अमृतसर) तक
15 दिन तक निकाली गर्इ। इस यात्राा की सफलता में आपका तथा आपकी अनन्य सहयोगी एवं साथी बहन प्रवेश आर्या
का विशेष सहयोग रहा। इस यात्राा के पश्चात आप दोनों की पहचान महिलाओं की लड़ार्इ लड़ने वाली सामाजिक
कार्यकर्ताओं के रूप में बनी। आपके संयोजन में 2006 तथा 2008 में पूरे हरियाणा में जन चेतना यात्रााओं का आयोजन
किया गया। आपके संयोजन में ही एक महीने तक चलने वाले ''बेटी बचाओ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ का आयोजन
निरन्तर होता आ रहा है। इन यज्ञों में जहां हरियाणा भर के बड़े-बड़े अस्पतालों के मालिक, डाक्टर, नर्स, अल्ट्रासाउण्ड
मशीनों के मालिक यज्ञ में आहूति डालकर कन्या भ्रूण हत्या न करने की प्रतिज्ञा लेते हैं वहीं विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक,
धार्मिक संगठनों के अतिरिक्त आम जन-मानस भी आहूति डालकर आपके द्वारा संचालित बेटी बचाओ अभियान से जुड़ने
का संकल्प लेते हैं। वर्तमान में आप अपनी सैकड़ों कार्यकर्ताओं को साथ लेकर बेटी बचाओ अभियान का सुन्दर संचालन
कर रही हंै तथा आपके नेतृत्व में यह अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।
युवा निर्माणर््ण अभियान :- आर्य समाज के सशक्त युवा संगठन सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद द्वारा संचालित युवा
निर्माण अभियान में भी आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है। आपके अध्यक्षता में ही हरियाणा के इतिहास में पहली बार तेरह
सौ युवतियों का सात दिवसीय चरित्रा निर्माण एवं व्यायाम प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। आप हर वर्ष 500 से 1000
युवतियों का एक शिविर 6 जून से 12 जून तक आयोजित कर रही हैं जिसमें योग प्रशिक्षण एवं बौद्धिक प्रशिक्षण का
उत्तरदायित्व भी आप स्वयं सम्भालती हैं। जिसकी चहुं ओर प्रशसित फैल रही है। आपका अधिकतर समय जहां गांव में
महिलाओं को जागरूक करने में लगता है वहीं विभिन्न विधालयों में युवतियों को जागरूक करने में भी आप पीछे नहीं
हैं।
सामाजिक संगंगठन एवं आपकी जिम्मेदेदारी :- वर्तमान में आप जिन सामाजिक संगठनों के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य
कर रही हैं उनमें आर्य समाज के युवा संगठन सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद की कार्यकारी प्रधान, महिला समता मंच
में प्रधान, अखिल भारतीय नशाबन्दी परिषद हरियणा में उपप्रधान, बेटी बचाओ अभियान में राष्ट्रीय संयोजक तथा रोहतक
में जिला पी.एन.डी.टी. एडवार्इजरी कमेटी की सदस्य आदि महत्वपूर्ण हैं। इनके अतिरिक्त आप विभिन्न संगठनों में विशेष
आमंत्रित एवं सम्मानित सदस्य भी हैं।
सम्मान :- वैसे तो आप लौकेषणा से दूर रहते हैं फिर भी विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संगठन आपको समय-समय
पर सम्मानित करते रहते हैं। जिला प्रशासन रोहतक द्वारा भी आपको महिलाओं की लड़ार्इ लड़ने के लिए सम्मानित किया
जा चुका है। हरियाणा सरकार द्वारा आपको महिलाओं की लड़ार्इ लड़ने के लिए दिया गया बेटी बचाओ रथ किसी सम्मान
से कम नहीं है।
विशेष :- आपका व्यकितत्व एक आदर्श व्यकितत्व है। आपमें संगठन करने की अदभुत शकित है। आपका सरल जीवन
सभी को प्रभावित करता है। आपके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है कि आप छोटे से छोटे कार्यकर्ता की सहायता
के लिए तत्पर रहती हैं तथा आगे बढ़कर उसकी सहायता करती हैं। आप एक स्पष्ट वक्ता हैं जो अपने आप में एक
आदर्श सामाजिक कार्यकर्ता के गुण को दर्शाता है। स्वामी इन्द्रवेश जी द्वारा लिखित महत्वपूर्ण पुस्तक पुनर्जन्म मीमांसा
के प्रकाशित होने में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वामी जी के अनितम दिनों में जब वो अस्वस्थ चल रहे थे उस
समय स्वामी जी बोलते तथा आप व आपकी अनन्य सहयोगी एवं साथी बहन प्रवेश आर्या लिखते थे। आपके कारण
ही पुनर्जन्म मीमांसा को जन-जन तक पहुंचाया जा सका।
आप एक सुलझी हुर्इ वक्ता एवं लेखक भी हैं। आपके लेख राजधर्म, वैदिक सार्वदेकिशक, मधुर लोक, आर्य जीवन,
आर्यनीति के अतिरिक्त दैनिक समाचार पत्राों में भी छपते रहते हैं।
कुछ महत्वपूण्ूर्ण आयोजेजन :-
- 13 मार्च, 2008 से 7 अप्रैल, 2008 तक बेटी बचाओ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ, रोहतक, हरियाणा। संयोजक -कु. प्रवेश आर्या, प्रबन्धक - कु. पूनम आर्या।
- 13 मार्च, से 23 मार्च, 2009 तक बेटी बचाओ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ, रोहतक, हरियाणा। संयोजक - कु. प्रवेश आर्या, प्रबन्धक - कु. पूनम आर्या।
- 12 मार्च से 13 अप्रैल, 2010 बेटी बचाओ महायज्ञ एवं वेद प्रचार शिविर कुम्भ मेला हरिद्वार। सह संयोजक - कुप्रवेश आर्या एवं व्यवस्थापक कु. पूनम आर्या।
- 5000 हजार युवाओं का विशाल सम्मेलन, 21 नवम्बर, 2010 स्थान- दून स्कूल सोनीपत, हरियाणा सह संयोजक - कु. प्रवेश आर्या एवं व्यवस्थापक कु. पूनम आर्या।
- 21 से 28 फरवरी, 2011 सर्वधर्म जन-चेजना यात्राा, हरियाणा के दस जिलो में सह संयोजक - कु. प्रवेश आर्या, नेतृत्व - स्वामी आर्यवेश जी एवं कु. पूनम आर्या।
- 13 से 27 मार्च, 2011 बेटी बचाओ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ, चौ. बलदेव भवन, रोहतक, हरियाणा, संयोजक - कु. प्रवेश आर्या, प्रबन्धक - कु. पूनम आर्या।
- 6 से 12 जून, 2011 तक, कन्या चरित्रा निर्माण शिविर, महारानी किशोरी जाट कन्या महाविधालय, रोहतक, हरियाणा, संयोजक - कु. प्रवेश आर्या, अध्यक्षता - कु. पूमन आर्या
बहन पूनूनम आर्या जी के जीवन परिचय एवं
क्रियाकलाप की संंिक्षिप्त जानकरी
वैदिक धर्म अनुयायी, परम ऋषिभक्त, कर्मठता नारी-शिक्षा सम्मान-स्वाभिमान संरक्षिणी, कन्या-भ्रूण हत्या निरोधिका,
युवा-संगठन-गठिका, आध्यात्म दर्शन पथ पथिका एवं सरलता, सौम्यता, गम्भीरता की साक्षात प्रतिमूर्ति आदरणीया पूनम
आर्या जी का जन्म हरयाणा प्रदेश के सोनीपत मण्डलान्तर्गत गिवाना ग्राम सिथत आर्य समाजी परिवार में पिता श्री èार्मवीर
सिंह जी एवं माता श्रीमती राजबाला जी के घर में दिनांक 23 मार्च, 1978 को हुआ। आपके दादा चौधरी सुल्तान सिंह
जी आर्य समाज के कर्मठ कार्यकर्ता होने के कारण आपकी पृष्ठभूमि प्रारम्भ से आर्य समाज की रही है।
आपकी प्रारमिभक शिक्षा राजकीय माध्यमिक विधालय गिवाना में हुर्इ तथा 10वीं तक राजकीय उच्च विधालय आंवली
में हुर्इ इसके उपरान्त 11वीं से बी.ए. (स्नातक) तक की शिक्षा आपने महारानी किशोरी जाट कन्या महाविधालय रोहतक
से प्राप्त की तथा एम. ए. (स्नातकोत्तर) संस्कृत एवं इतिहास की डिग्री महर्षि दयानन्द विश्वविधालय रोहतक (हरियाणा)
से ली। आपने दिल्ली राजघाट से प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्रा में डी. एन. वार्इ. एस. की उपाधि प्राप्त करी। शिक्षा के
साथ-साथ आपने राष्ट्रीय सेवा योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभार्इ।
आप स्वाध्यायशील होने के कारण वेद, दर्शन शास्त्रा, उपनिषद एवं गीता आदि ग्रन्थों में विशेष रूचि रखती हैं। अत:
आध्यात्म साधना तथा चिन्तन को आपने अपनी दैनिक चर्चा का अभिन्न अंग बनाया है। आपका वक्तृत्व कौशल ओजस्वी
तथा प्रभावशाली होने के कारण सबको प्रेरणा देता है तथा विशेषकर युवा वर्ग को आप आर्य समाज के साथ जोड़ती
हैं। अपनी व्यस्तता के बावजूद भी आप जिनसे एक बाद मिलती हैं तो उसको कभी नहीं भूलती।
बहन प्रवेश आर्या के साथ आपका परिचय महाविधालय में पढ़ते समय हुआ। आर्य समाजी परिवार में जन्म होने
के कारण ऋषि दयानन्द की विचारधारा से सुपरिचित एवं प्रभावित थी, अत: सत्यार्थ प्रकाश को अध्ययन हेतु प्राय:
महाविधालय में रखती थीं। इसी कालजयी ग्रन्थ को आपकी प्रेरणा से बहन प्रवेश जी ने पढ़ा तो उनकी भावना आर्य समाज
से पूर्णतया जुड़ गर्इ तथा उसी समय से प्रतिदिन आपके साथ सन्ध्या करने लगी। आपको उस समय ऐसा लगा जिसकी
तलाश थी वैसी ही मेरी प्रतिमूर्ति मुझे मिल गर्इ।
1999 में दयानन्द मठ में स्वामी सत्यपति जी के योग शिविर में भाग लेने के लिए गए तो स्वामी जी से मार्ग दर्शन
प्राप्त किया तथा अनितम दिन घोषणा हुर्इ कि 3 अक्टूबर से स्वामी इन्द्रवेश जी वैदिक सत्संग प्रारम्भ करेंगे। आपने उसमें
आने का निर्णय लिया। युवाओं के प्रेरणा स्त्राोत वेदार्ष साहित्य के विद्वान पूज्यपाद स्वामी इन्द्रवेश जी से पहली मुलाकात
से ही आपको प्रेरणा मिली तथा निरन्तर सम्पर्क बना रहा तथा गम्भीर परिचर्चा के साथ-साथ आप दोनों ने दर्शन शास्त्रा,
उपनिषद एवं गीता का अध्ययन भी स्वामी जी से किया। जिसके फलस्वरूप आपने उनसे दयानन्द मठ रोहतक में 1999
में ही नैषिठक ब्रह्राचर्य की दीक्षा लेकर अपना सम्पूर्ण जीवन आर्य समाज हेतु समर्पित कर दिया। आप में वक्तृत्व कौशल
के साथ लेखकीय कुशलता से युवा वर्ग को विशेष लाभ हो रहा है, स्वामी इन्द्रवेश जी द्वारा रचित 'पूनर्जन्म मीमांसा
नामक पुस्तक में लेखनकार्य की जिम्मेदारी आपने ली तथा आर्य समाज की विभिन्न पत्रिकाओं जैसे राजधर्म, मधुरलोक,
आर्य जीवन, वैदिक सार्वदेशिक, आर्य नीति आदि में आपके प्रेरणादायी लेख प्रकाशित होते रहते हैं।
नारी शिक्षा का अभाव, दहेज प्रथा, दहेज हत्या, समाज में पुरुष प्रधान्य, भ्रूण हत्या तथा नारी को पुरुषों की अपेक्षा
हेय मानना आदि सामाजिक कुरीतियों एवं संकुचित मानसिकता आदि अनेक कारणों से कन्या को भार एवं आपत्ति के
रूप में देखने के कारण कन्या भ्रूण हत्या का महादानव आज अपने विभत्सरूप में उपसिथत है इन उपरोक्त कुरीतियों तथा
समस्याओं के निराकरण हेतु व्यापक स्तर पर सामाजिक जागरूकता, आन्दोलन एवं जन प्रेरणा की आवश्यकता होती है।
अत: आपने सन 2005 अक्टूबर में स्वामी इन्द्रवेश जी व स्वामी अगिनवेश जी के नेतृत्व में अपनी अनन्य सखी एवं
सहयोगिनी के साथ ऋषि दयानन्द सरस्वती के जन्म स्थान टंकारा (गुजरात) से जलियावाला बाग (अमृतसर) तक कन्या
भ्रूण हत्या विरोधी 15 दिवसीय 'सर्वधर्म जन-चेतना यात्राा में अपनी छवि नारी हितैषी एवं आर्य युवतियों के रूप में स्थापित
की। इस प्रकार 'बेटी बचाओ अभियान का सूत्रापात हुआ सन 2006 फरवरी में नरवाना से चौधरी छोटूराम के जन्मदिवस
से लेकर गुरु रविदास के जन्मदिवस पर रोहतक तक कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध सर्वधर्म जन-चेतना यात्राा स्वामी इन्द्रवेश
जी व अगिनवेश जी के नेतृत्व में निकाली गर्इ जिसमें आपका विशेष सहयोग रहा।
जून, 2006 में स्वामी इन्द्रवेश जी के चले जाने के बाद उनके द्वारा चलाये जा रहे 'बेटी बचाओ अभियान को आगे
बढ़ाने के लिए विशेष जिम्मेदारी ली। इसके लिए गांव-गांव जाकर कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध जागरूक करने का प्रयास
आप द्वारा चल रहा है।
पिछले पांच वषो± से स्वामी इन्द्रवेश जी की जयन्ती के अवसर पर मार्च में 'बेटी बचाओ संकल्प चतुर्वेद पारायण
महायज्ञ का संयोजन व्यवसिथत रूप से आप करती हैं। पूरे जिले के चिकित्सालयों के स्वामी, अल्ट्रासाउण्ड मशीनों के
स्वामी एवं संचालक, नर्स तथा अन्य चिकित्सा व्यवसायी, शिक्षक, वकील आदि इस यज्ञ में आहुति डालकर कन्या भ्रूण
हत्या को रोकने की शपथ तथा संकल्प लेते हैं इसी प्रकार अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक संगठनों के नेता व
कार्यकर्ता गण भी इसी यज्ञ में आहूति डालते हैं।
सन 2008 व 2011 में भी हरियाणा के विभिन्न जिलों में कन्या भ्रूण हत्या विरूद्ध 'सर्वधर्म जन-चेतना यात्राा का सफल
संयोजन आपके द्वारा किया गया।
किसी भी राष्ट्र, समाज या वर्ग में युवाओं का अति महत्वपूर्ण स्थान होता है। यदि युवा सच्चरित्रा एवं धर्मात्मा हो
जाएं तो पूरा समाज दोष मुक्त हो जाता है। अत: युवाओं को नैतिक, आध्यातिमक, धार्मिक, सामाजिक एवं चारित्रिक
मूल्यों से संयुक्त करने हेतु आर्य समाज के सशक्त युवा संगठन 'सार्वदेशिक आर्य यवुक परिषद द्वारा संचालित 'युवा
निर्माणर््ण अभियान में स्तुत्य कार्य कर रही है। हरियाणा के इतिहास में पहली बार जून, 2007 में स्वामी इन्द्रवेश की स्मृति
में उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर 1200 लड़कियों का सप्तदिवसीय रिहायसी 'कन्या चरित्रा निर्माणर््ण एवं योगेग प्र्रिशिखण
शिविर का आयोजन आपकी अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। तब से प्रतिवर्ष 6 जून से 12 जून तक 500 से 1000 युवतियों
के लिए आप रिहायसी शिविर का आयोजन सफलता पूर्वक करती हैं। इन बड़े शिविरों के अतिरिक्त प्रतिवर्ष सैकड़ों
छोटे-छोटे शिविरों का आयोजन भी किया जाता है।
यह आपकी क्षमता, योग्यता एवं कर्मठता का ही परिणाम है कि आप वर्तमान में आर्य समाज के युवा संगठन
'सार्वर्ददेेिशिक आर्य युवुवक परिषद के कार्यकारी प्रधान पद का, महिला समता मंच के प्रधान पद का, अखिल भारतीय
नशाबन्दी परिषद, हरियाणा के उपप्रधान पद का, बेटी बचाओ अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आदि पदों का उत्तरदायित्व
कुशलतापूर्वक निर्वहन कर रही हैं। आप रोहतक में जिला पी. एन. डी. टी. एडवार्इजरी समिति की सदस्या के अतिरिक्त
विभिन्न संगठनों में विशेष आमनित्रात एवं सम्मानित सदस्या भी हैं।
आपने स्वल्प काल में ही विशेष सामाजिक कार्य किये हैं, अत: आपको अनेक धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों ने
सम्मानित किया है। कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में बेटी बचाओ अभियान की उपयोगिता से प्रभावित होकर हरयाणा
सरकार द्वारा 'बेटी बचाओ रथ (इनोवा गाड़ी) उपहार स्वरूप प्रदान की गर्इ। श्री हेमन्त अत्राी को पत्राकारिता विभाग में
हरियाणा सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया जिसमें मिली एक लाख रुपये की राशि को 'बेटी बचाओ अभियान को दिया
गया। जिला प्रशासन रोहतक द्वारा महिला अधिकार एवं हित के लिए किये गये प्रयासों के सन्दर्भ में 15 अगस्त, 2009
में आपको सम्मानित किया गया।
विशाल व्यकितत्व एवं कृतित्व की साक्षात प्रतिमूर्ति पूज्यपाद स्वामी इन्द्रवेश जी के निधन से उत्पन्न अभाव को पूरा
करने तथा उनके कायो± को आगे बढ़ाने में संलग्न 'सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा संचालन समिति के संयोजक 'वैदिक
विरक्त मण्डल के महामन्त्राी 'सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा âदय सम्राट, ओजस्वी वाणी के
वक्ता, प्रतिषिठत आर्य संन्यासी 'स्वामी आर्यवेश जी के मार्गदर्शन एवं सानिध्य में आप ऋषि दयानन्द तथा आर्य समाज
के कार्य को गति प्रदान कर रही है।
- ब्र.्र. दीक्षेन्ेन्द्र आर्य
प्रधान, हरियाणा आर्य युवक परिषद
बहन प्रव्रवेश्ेश आर्या जी के जीवन परिचय एवं
क्रियाकलाप की संंिक्षिप्त जानकरी
आर्य समाज एवं ऋषि दयानन्द के प्रति सच्ची निष्ठा तथा नारी जाति के शिक्षण उत्थान एवं सम्मान के लिए सतत
प्रयत्नशील आदरणीया बहन प्रवेश आर्या जी आपका जन्म सुशिक्षित एवं सम्पन्न परिवार में हरियाणा प्रदेश के रोहतक
जिले के गांव रिठाल में पिता श्री नफेसिंह जी एवं माता श्रीमती सावित्राी देवी के घर में दिनांक 12 फरवरी, 1978 को
हुआ। आपके माता-पिता का अध्यापन व्यवसाय होने के कारण आपकी शिक्षा भी सुव्यवसिथत रूप से सम्पन्न हुर्इ।
आपने प्राथमिक शिक्षा तक ग्राम भैंसवाल (सोनीपत) तथा ग्यारहवीं तक निज ग्राम सिथत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक
विधालय रिठाल रोहतक में अध्ययन किया। आपने रोहतक सिथत प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान 'महारानी किशोरी जाट कन्या
महाविधालय रोहतक से स्नातक उपाधि, नागपुर विश्वविधालय नागपुर से बी. पी. एड., भोपाल से एम. पी. एडतमिलनाडू
से एम. फिल तथा राजघाट दिल्ली से प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्रा में डी.एन.वार्इ.एस. की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा
के साथ-साथ खेलों के क्षेत्रा में आपने हैण्डवाल, बास्केटबाल, सोफ्टवाल, बेसबाल, थ्रोबाल, नेटबाल, कोर्फबाल आदि खेलों
को जहां अन्तर-विश्वविधालय स्तर पर खेला वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी खेला तथा प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त
किया।
बचपन से आपकी दादी श्रीमती सूरजकौर से धार्मिक संस्कार ग्रहण किये उनपर चलते हुए महाविधालय में अध्ययन
करते समय आपकी मुलाकात संन्ध्या करने उपरान्त कु. पूनम आर्या से हुर्इ तथा धार्मिक चर्चा करते समय आपको सत्यार्थ
प्रकाश पढ़ने की सलाह दी। आप दोनों ने मिलकर सत्यार्थ प्रकाश पढ़ा और नित्य प्रति सन्ध्या करने लगी। वैचारिक क्रानित
का सूत्रापात करने वाले अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश के अध्ययन के उपरान्त आपके जीवन में भी आर्य समाज व ऋषि
दयानन्द के प्रति श्रद्धा एवं समर्पण भाव प्रकट हुआ। अत: आपने आर्य समाज को और अधिक निकटता से जानने के
लिए आर्य समाज के साहित्य का नियमित अध्ययन तथा मनन प्रारम्भ कर दिया। वर्तमान में आप सार्वदेशिक आर्य युवक
परिषद हरियाणा की महामन्त्राी, हरियाणा आर्य प्रतिनिधि सभा की उममन्त्राी, नशाबन्दी परिषद हरियाणा में उपमन्त्राी, बेटी
बचाओ अभियान के राष्ट्रीय सह-संयोजक, महिला समता मंच के राष्ट्रीय महामन्त्राी आदि पदों को सुशोभित कर रही हैं।
आप रोहतक जिले की पी. एन. डी. टी. एडवाइजरी समिति की सदस्या भी हैं। आपके सामाजिक कायो± को देखते हुए
हरियाणा सरकार, जिला प्रशासन तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है।
- ब्र.्र. दीक्षेन्ेन्द्र आर्य
प्रधान, हरियाणा आर्य युवक परिषद